पैंक्रियाटिक कैंसर भारतीय समाज में एक गंभीर चिंता का विषय बन चुका है। इसका प्रमुख कारण खराब आहार, मोटापा, और आनुवंशिक कारण हो सकते हैं। पैंक्रियास में ट्यूमर बनने से पाचन क्रिया प्रभावित होती है, और यह आमतौर पर देर से पहचाना जाता है।
इसके लक्षणों में पेट में दर्द, पीली त्वचा, कमजोरी, और अप्रत्याशित वजन घटने जैसी समस्याएँ शामिल हैं। क्योंकि यह बीमारी जल्दी पहचान में नहीं आती, इसलिए इसका उपचार मुश्किल हो जाता है।
पैंक्रियाटिक कैंसर का इलाज महंगा और लंबा होता है, और इस कारण से कई भारतीय परिवारों को वित्तीय संकट का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा, इस बीमारी का मानसिक प्रभाव भी गहरा होता है क्योंकि इसके लक्षण बहुत दर्दनाक होते हैं।
इस कैंसर से बचाव के लिए सही आहार, व्यायाम और पैंक्रियास की नियमित जांच आवश्यक है।
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